Prince Singhal

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अंधेरी रात

अंधेरी रात

लेखक: प्रिंस सिंहल

टीन की छत पर बारीश की आवाज से दिल धडकने की रफ्तार बढ रही थी तभी बिजली चमकने से सारा कमरा दूधिया रोशनी में नहा गया । इस अंधेरे कमरे में अकेला बैठा मैं नींद की आगोश में आने को व्याकुल था, लेकिन नींद अभी मुझसे कोसो दूर थी। अचानक फिर तेजी से बिजली चमकी और मैं डरकर आंख भीच कर लेट गया। लाईट नहीं आने से कमरे में पूरी तरह अंधेरा था।
ऐसे में भला हो उस लड़की का जिसने मुझे रात में सिर छिपाने के लिये सहारा दिया। दिल उसी के ख्यालों में खोने लगा। बला की खूबसूरती थी उसमें जो रात के अंधेरे में भी नजर आ रही थी। उसके रेशमी काले बाल, उसके बदन को और अधिक मादक बना रहे थे।
मैं पहाड़ियों के रास्ते कम्पनी के काम से लद्दाख जा रहा था। कुछ दूरी का सफर मुझे मेरी ही गाडी से पूरा करना था। ड्राईवर की तबियत बिगड जाने के कारण गाडी मैं खुद ही चला रहा था। अचानक पहाडी रास्ते में गाडी ने धोखा दे दिया। सूरज अपनी अन्तिम किरण बिखेरकर अलविदा कहने का ऐलान कर चुका था। मैं इधर-उधर सिर छिपाने को कहीं कोई जगह ढूँढने लगा ही था कि पीछे से आई एक लड़की की सुरीली आवाज ने मेरे कानों में रस घोल दिया।
आप कुछ परेशान से लग रहे हैं..
सड़क के किनारे खडी मेरी गाडी की ओर इशारा करते हुए बोली।
लगता है, आपकी गाड़ी खराब हो गई है, और उस पर ये तूफानी रात आपकी परेशानी का कारण लग रही है?
उसके इस तरह का सवाल ने मुझे अपनी परेशानी बताने के लिये, उसके सामने मजबूर कर दिया।
मैं यहां एक अजनबी हूं और आपने ठीक समझा मेरी गाडी खराब हो गई है। मैं रात गुजारने के लिये किसी ठिकाने की तलाश में हूं।
बहरहाल , आइये मेरे साथ मैं आपको अपने घर लिये चलती हूँ।
उसकी मीठी आवाज मेरे कानों में शहद घोल रही थी। मेरा दिल चाहता था कि उसकी खूबसूरत आवाज सदा सुनता ही रहूं। मन में कुछ हैरानी भी थी कि एक नौजवान लड़की मुझे यूं अपने घर चलने को कहेगी। फिर अपनी परेशानी से बचने के लिये मैंने उसके साथ जाने का इरादा बना लिया और गाडी बन्द करके पहाडी के नीचे जहां उसका घर था, साथ चल दिया। उसने रास्ते में बताया उसका नाम मैरी है।मैं पूरे रास्ते उसकी सुंदरता और मासूमियत को निहारती रहा। वह मुझे उस नवखिली कली की तरह लग रही थी जिसको जरा सा हाथ भी लगाया जाये तो वह टूट कर बिखर जायेगी और अपना वजूद खत्म कर देगी । यूं ही बाते करते-करते मैं उसके घर पहुंच गया। मुझे उस लंबे रास्ते के कटने का एहसास तक नहीं हुआ और उसका घर आ गया।
यह है मेरा घर ।
कहते हुए वह मुझे अन्दर लेकर चली गई।
यह एक पुरानी हवेली थी, कुछ देर में वह मेरे लिये चाय लेकर आयी।
इस इतने बड़े घर में मुझे तुम्हारे अलावा और कोई नजर नहीं आ रहा है।
मैने चाय की चुस्की लेते हुए कहा। मेरा मतलब है, आपके मां-बाप,भाई-बहन,और कौन रहता है ।
मेरी शादी हो चुकी है और मेरे पति वहां है जहां से कोई भी कभी वापस नहीं आता।
कहते हुए वह फर्श पर बिछे कालीन पर बैठ गई। मैं उसकी आंखो में तैरते हुए आंसुओ को स्पष्ट रूप से देख चुका था।
मुझे माफ करना मैने बेवजह ही आपका दिल दुखा दिया
कोई बात नहीं। 
वह अपने दुपट्टे से आंसू साफ करते हुए बोली,
इसमें आपका कोई कुसुर नहीं।
मैं तो सिर्फ दिल का बोझ हलका करने के लिये आंसू बहाती हूँ। मैं कभी किसी के यूं पूछने पर आंसू बहाती हूं और कभी खुद की तन्हाई में उन्हें याद करके आंसू बहाती हूँ। पतिदेव से किसे मुहब्बत नहीं होती। वैसे भी औरत पति-पत्नी के मामले में मर्द से ज्यादा संजीदा होती है, और उन्हीं से ही तो उसके इस जहां की रौनक आबाद है।
कहते हुए उसने मुझे लगातार देखना शुरू कर दिया, जैसे वह मेरे अंदर कुछ तलाश रही है। उसकी खूबसूरती और जवानी को देख मुझे हैरानी हो रही थी वह एक विधवा है।
लेकिन आपने दुबारा शादी क्यों नहीं की? .
मैने निस्वार्थ भाव से बोल दिया। जवाब देने की बजाय उसने चाय के बर्तन उठाए और खाना लाने को कहकर चली गई। मैं उसके बारे में सोचने लगा कि इतनी खूबसूरत और हसीन नौजवान लड़की बिल्कुल अकेली और मुझे यहां क्यों ले आई, शायद इसका कोई मकसद हो ? और आगे कुछ न सोच सका,
बिजली की चमक और बादलों की गड़गडाहट ने मुझे तनहा भयभीत कर दिया, इतनी देर से लाईट भी
चली गई। लगभग आधा घंटे बाद वह खाना लेकर आयी। उसके पास एक जली लालटेन भी थी। मैंने
लालटेन की रोशनी में देखा इतनी बारिश के बावजूद भी उसके कपड़े भीगे नहीं। कपड़ो से फिसलते-फिसलते मेरी नजर उसके कदमो पर जा पडी । मैं यह देख हैरान रह गया कि उसके जूते भी गीले नहीं थे और न ही उन पर कीचड़ आदि लगा हुआ था। मैं उससे पूछना चाहता था मगर उसको खाना निकालने में व्यस्त देख अपना इरादा बदल दिया। मुझे खाना खिलाने के बाद ......
अच्छा अब मैं चलती हूँ शायद सुबह मुलाकात न हो सके । कहते हुए वह कमरे से चली गई।
मैं पूरी रात उसके ख्यालों में खोया रहा, मगर कुछ भी नतीजा निकालने में असफल रहा और कब सुबह हो गई मुझे पता ही नहीं लगा।
सूर्य ने अपनी पहली किरण फैला दी थी। अचानक मेरे कमरे का दरवाजा जोर-जोर से पीटा जाने लगा मैं इस नई मुसीबत से घबरा गया और रात की सारी बात मुझे एक-एक करके याद आने लगी। अंत में कुछ सोचकर मैंने दरवाजा खोल दिया।
ओह! शुक्र है भगवान का तुम जिंदा हो हम तो समझे थे कि अब तुम्हारी लाश की उठाकर लाएंगे। 
एक बुजुर्ग ने मेरे सीने से लगते हुए कहा।
मैं आपकी बात नहीं समझा ?
मैंने अन्य लोगों की तरफ देखते हुए पूछा।
बेटा मैं तुम्हे बताता हूं आज से कुछ अरसा पहले इस इलाके में एक अजनबी आया। वह अकेला था। उसकी गाडी खराब हो गई थी तो उसे किसी ठिकाने की तलाश थी । यही मैरी जो रात को तुम्हे यहां लेकर आयी थी, उसे मिल गई और उसे लेकर इस हवेली में आ गई। यहां वह अपने पतिदेव के साथ रह रही थी। पतिदेव किसी सरकारी काम से कुछ दिनों के लिये बाहर गये थे । जिसका फायदा उस शरीफ मेहमान ने उठाया। रात को वह शरीफ मेहमान दरिन्दा बन गया। उसने मैरी की
इज्जत लूट ली। मैरी ने कुछ सोच-विचार के बाद कुएं में कूदकर जान दे दी। इस बात का पता जब पतिदेव को चला तो वे भी उसकी याद में आंसू बहाते-बहाते चल बसे । कुछ ही समय में सब खत्म हो गया। उसके बाद उस मैरी की रूह इस इलाके में लोगों को नजर आती रही। उसने इलाके में किसी को तंग नहीं किया। चंद दिनों बाद हमें इस हवेली में एक अजनबी की लाश मिली। उसके बाद जब-जब भी सड़क के किनारे कोई लावारिस गाडी मिलती, इस हवेली से एक अजनबी की लाश निकलती थी और आज फिर एक लावारिस गाडी सड़क के किनारे देख.......
भगवान का शुक्र है आप जिन्दा मिल गये।
मैं मैरी की कहानी सुन भयभीत हो गया और उस रात की घटना मेरे दिमाग में इस प्रकार अंकित हो गयी कि प्रयत्न करने के बावजूद भी मैं कुछ भुला नहीं सकता।

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3 Comments

HARSHADA GOSAVI

18-Dec-2024 11:18 AM

Nice

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Babita patel

02-Jul-2024 09:11 AM

V nice

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Prince Singhal

02-Jul-2024 04:20 PM

Thanks ji

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